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Governments Hiding Death Toll: क्यों सरकारें मौत का आँकड़ा छिपा रही हैं

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Governments Hiding Death Toll: क्यों सरकारें मौत का आँकड़ा छिपा रही हैं

Governments Hiding Death Toll: भारत में सरकारों पर covid19 से मरने वाले का आँकड़ा छुपाने का गंभीर आरोप लग रहा हैं। यह विभिन्न मीडिया हाउसों ने भी और विदेशों में उजागर किया गया है। उन्होंने इस संबंध में कई रिपोर्ट भी प्रकाशित की हैं। आपको पता ही होगा कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने भारत में संकट की स्थिति पैदा कर दी है। अस्पताल भरे हुए हैं और लोग ऑक्सीजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लोग सड़क पर डॉक्टरों के इंतजार में मरीज मर रहे हैं। अब इस स्थिति में मृतकों की वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों की तुलना में बहुत अधिक है। विशेषज्ञों की मानें तो केंद्र राज्य सरकारों पर मरने वालों की संख्या छिपाने का दबाव बना रहा है। राज्य मृतकों का सही अकड़ा प्रस्तुत नहि कर रहे है यह बात अब किसी से छुपी नहीं है।  

मीडिया सूत्रों के अनुसार सरकार इस बार वास्तविक मृत्यु संख्या का 25-30% भी रिपोर्ट नहीं कर रही है। इस बार कोविद की मौत की बढ़ी संख्या के कारण केंद्र सरकार पर काफी दबाव है। बुनियादी दवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार दोनों वास्तविक मृत्यु संख्या (Governments Hiding Death Toll) को छुपा कर अपनी अक्षमता और नाकामी को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने पिछले एक साल में देश में स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए कुछ नहीं किया

यह स्पष्ट है कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने पिछले एक साल में देश में स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए कुछ नहीं किया है। केंद्र की भाजपा सरकार को इस बात का भी डर है कि वे आगामी चुनावों में जनता का समर्थन खो सकती हैं। लेकिन क्या यह हमारे राजनेता महामारी के समय में भी सिर राजनीति कर रहे हैं जब हर रोज हज़ारों लोग करोना से भारत में मर रहे हैं। वे भारत के लोगों को बचाने के बजाय अपनी राजनीतिक छवि के लिए अधिक चिंतित हैं।

राज्य सरकारों पर कोविद के संक्रमण और मृत्यु की संख्या को छिपाने के लिए किसका दबाव है

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, “राज्य सरकार न केवल मौत का आँकड़ा छुपा रही है बल्कि वे Covid19 संक्रमण डेटा भी छिपा रहे हैं।” सूत्रों के अनुसार राज्य सरकारें वास्तविक मृत्यु संख्या को छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर काफी दबाव में हैं। राज्य सरकार मृत्यु और संक्रमण की सही संख्या छुपाने का सात साथ चिकित्सा वैज्ञानिकों के साथ जीनोम अनुक्रमण के महत्वपूर्ण डेटा को भी साझा नहीं कर रही है। इस डेटा की कमी के कारण वैज्ञानिक विभिन्न कोविद म्यूटेंट के व्यवहार का विश्लेषण करने में सक्षम नहीं हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि भारत में कोविद वायरस के नए रूप अधिक घातक हो सकता हैं। लेकिन वास्तविक डेटा और अनुसंधान की कमी के कारण यह उनकी धारणा भी हो सकती है।

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केंद्र सरकार के अलावा दवा कंपनियों भी संक्रमण और मौत के संख्या (Governments Hiding Death Toll) को छिपाने के लिए केंद्र सरकार सरकार पर दबाव डाल रही है। वे Covid19 के पुराने वेरिएंट के आधार पर पहले से निर्मित अपने टीके को भरतिया बाज़ार में बेचना चाहते हैं। पहले से निर्मित यह टिका कोरोनोवायरस के वर्तमान प्रकार में बहुत प्रभावी नहीं हो सकता है। आप को बता दें की भारत में टीकाकरण के बाद भी बड़ी संख्या में लोग संक्रमित रहे हैं और मर भी रहे है। हालांकि डॉक्टरों का मानना ​​है कि संक्रमण उन रोगियों में बहुत गंभीर नहीं है जिन्होंने टीका के दोनों उपाय किए हैं। लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त इस संबंध में अलग दृष्टिकोण रखता है।

भारत में Covid19 संक्रमण और मृत्यु का वास्तविक परिदृश्य क्या है: Governments Hiding Death Toll

Government Official Death Toll

भारत के हर राज्य में covid से मरने वालों की संख्या बड़ी तादात में हैं। श्मशान घाटों पर पहुंचे शवों की तुलना में सरकारों द्वारा प्रतिदिन की जारी करने वाली संख्या बहुत ही कम है। कई सोशल मीडिया क्लिप और मीडिया रिपोर्टों ने भारत में विभिन्न घाटों पर बड़ी संख्या में दाह संस्कार को दिखाया है। इस बात के छुपाने के लिए कुछ राज्य सरकारों ने श्मशान को कवर तक कर दिया और मीडिया को प्रतिबंधित का दिया। लेकिन राज्यों का यह सब प्रयास बेकार है क्योंकि वास्तव में लोग मर रहे हैं और वे उन मौतों को एक बिंदु से परे नहीं छिपा सकते। भारत में सरकार ने लगभग 2 लाख लोगों की मृत्यु की सूचना दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि वास्तविक मृत्यु संख्या इस रिपोर्ट की गई संख्या से बहुत अधिक है।

यह न केवल राज्य सरकारें मौत का आंकड़ा (Governments Hiding Death Toll) छिपा रही हैं, बल्कि वे दैनिक संक्रमण संख्या को भी काम रिपोर्ट कर रही हैं। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार कई राज्यों में लोगों को कोविड टेस्ट की रिपोर्ट साझा नहीं की जा रही है। परीक्षण एजेंसियां ​​मौखिक रूप से मरीजों के साथ परिणाम की रिपोर्ट साझा कर रही हैं। कई राज्यों अस्पताल में भर्ती होने के लिए Covid19 रिपोर्ट और CMO पत्र अनिवार्य कर दिया। इसके द्वारा राज्य सरकारें अस्पतालों में लोगों की भीड़ को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। मरीज़ों कि सही समय पर इलाज ना हो पाना भी कोविड के कारण मरने वालों की बही संख्या का एक कारण है। इसके अलावा घरेलू उपचार के तहत लोगों के डेटा भी सरकार नहीं जुटा पा रही है। राज्य सरकार द्वारा बताए गए वास्तविक संक्रमण संख्या में निजी डॉक्टरों की दवा और टेली परामर्श शामिल नहीं हैं।

भारतीय परिवार भी शर्म के डर से संक्रमण और मौत की जानकारी छिपा रहे हैं

कई भारतीय परिवार शर्म के डर से भी कोविद संक्रमण और मौतों को छिपा रहे हैं। यह मुख्य रूप से जागरूकता की कमी और साक्षरता स्तर कम होने के कारण हो रहा है। कई परिवार अपनी खराब वित्तीय स्थिति के कारण भी कोविद डेटा की जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं। वे पैसे की कमी के कारण अपने रोगियों का इलाज नहीं करा पाने के लिए उन्हें दोषी मानते हैं। सरकारों के आंकड़ों में कोविद की वजह से घरों में होने वाली मौतें शामिल नहीं हैं। लेकिन वे बड़ी संख्या में श्मशान पहुंच रहे हैं कुछ अलग कहानियां दिखाते हैं।

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इसी तरह जो लोग दूरदराज के इलाकों में संक्रमित होने की सूचना सरकारी अकड़ो में नहीं मिलती है। उनमें से कई स्थानीय डॉक्टरों या अयोग्य चिकित्सा चिकित्सकों (झोला डॉक्टरों) के साथ इलाज कर रहे होते हैं। इसी कारण उनके संक्रमण या मृत्यु का अकड़ा सरकारी आंकड़ों में रिपोर्टिंग से पीछे रह जाती है। भारतीय ग्रामीण और उनमे शिक्षा की कमी और रूढ़िवादी सोच भी इन लोगों को संक्रमण और मृत्यु की जानकारी छिपाने के लिए प्रेरित करती है। सरकार भी भारतीय में मृत्यु और संक्रमण के आंकड़ों को सुव्यवस्थित करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है। वे स्वयं अपने राजनीतिक लाभ के लिए डेटा छिपाने (Governments Hiding Death Toll) में व्यस्त हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और स्वास्थ्य विशेषज्ञ भारत में मृत्यु दर पर क्या कहते हैं

New York Times Report

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत में मौजूदा स्थिति के लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार है। उनकी लापरवाही और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कोई प्रयास न करना इस अराजकता का मुख्य कारण है। भारत के हालात पर पैनी नज़र रखते हुए मिशिगन विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञानी भमर मुखर्जी। उन्होंने ने कहा कि यह भारत सरकार द्वारा कोविड से मरने वालों की संख्या बहुत हाई कम है। उनका मानना है की भारत में अब तक कोविड से मरने वालों की संख्या सरकार द्वारा बताई गई संख्या से पांच गुना तक अधिक हो सकती हैं। Governments Hiding Death Toll

आप को बता दें की कुछ महीने पहले भारत में स्थिति अच्छी थी और इससे सरकार लापरवाह हो गयी थी। उन्होंने सोचा कि भारत के लिए कोविड महामारी खत्म हो चुका है। उन्होंने ने जल्दीबाज़ी में उन लाक्डाउन की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया। यहां तक ​​कि भारत सरकार ने पूरे भारत में राज्यों और नगर निगमों में चुनाव कराना शुरू कर दिया। कई स्थानों पर बड़े धार्मिक आयोजन भी होने लगे। सरकारों के सुस्त रवैये को देखते हुए आम जनता अधिक आश्वस्त हो गयी और कोविड नियमो की अनदेखी कर दी। यह सब वर्तमान स्थिति के लिए ज़िम्मेदार है और अब लाखों लोगों के जीवन पर संकट के बदल छा गए है। अब राज्य सरकारें मृत्यु दर को छुपा (Governments Hiding Death Toll) रही हैं और काम दैनिक संक्रमण संख्या की रिपोर्टिंग कर रही हैं।

भाजपा के नेतृत्व वाले राज्यों में क्या स्थिति है संक्रमण और मृत्यु के लिए: Governments Hiding Death Toll

भाजपा के नेतृत्व वाला मध्यप्रदेश कोविद दूसरी लहर की शुरुआत से ही मौत और संक्रमण की संख्या को छिपा रहा है। यह बात आप भोपाल के उदाहरण से समझ सकते है जहां पिछले 13 दिनों में 1000 से अधिक लोग मारे गए। लेकिन मध्य प्रदेश  सरकार ने शहर में कोविड से मरने वाले लोगों की सिर्फ़ 41 लोगों की मौत की सूचना दी। एक बड़े मीडिया प्रकाशन हाउस ने इस कहानी को उजागर किया और वास्तविक संख्याएँ प्रकाशित कीं। यहां तक ​​कि इस कहानी को दुनिया के प्रमुख अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने कवर किया था। उन्होंने यह भी बताया है कि वास्तविक मृत्यु संख्या छिपाने (Governments Hiding Death Toll) के लिए मध्य प्रदेश सरकार।

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एक अन्य भाजपा साशित राज्य गुजरात ने भी कोविद की दूसरी लहर की शुरुआत के बाद से मरने वालों की संख्या को छिपा रही है। राज्य में अलग-अलग श्मशान में सैकड़ों शव पहुंच रहे हैं लेकिन सरकार हर रोज मौत की संख्या कम बता रही है। एक अन्य भाजपा के नेतृत्व वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भी ऐसी ही स्थिति है। हर रोज सैकड़ों लोग मर रहे हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार सिर्फ कुछ ही मौतों का सरकारी आंकड़ों (Governments Hiding Death Toll) दे रही है। पूरे भारत में अन्य भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की भी यही कहानी है। लगभग हर सरकार वास्तविक संक्रमण और मृत्यु संख्या छिपा रही है।

गैर-भाजपा नेतृत्व वाले राज्यों में संक्रमण और मृत्यु के लिए स्थिति क्या है: Governments Hiding Death Toll

ग़ैर भाजपा साशित राज्य भी कोविड से मरने वालों की संख्या अपने राज्यों में छुपा रहे है। गैर भाजपा राज्यों में स्थिति समान है और वह भी कोविड सम्बंधित जानकारी छुपा रहे है। इस सम्बंध में छत्तीसगढ़ सरकार सबसे आगे है और उसपर शुरू से ही कोविड से होने वाले मौतों के आँकड़े (Governments Hiding Death Toll) छुपा रहे है। इसी तरह राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार भी प्रतिदिन मौत की संख्या छिपा रही है। हालांकि महाराष्ट्र लगभग सभी संक्रमण संख्याओं की रिपोर्ट कर रहा है लेकिन हां वे भी दैनिक मृत्यु संख्या सौंप रहे हैं।

दिल्ली एक और गैर-भाजपा सरकार है जो भारत में कोरोना शुरू होने के बाद से मृत्यु की संख्या के आसपास विवादों में थी। दिल्ली सरकार पर रोजाना संक्रमण और मौत की संख्या छिपाने का गंभीर आरोप है। कई लोग मानते हैं कि वे पारदर्शी नहीं हैं और भारत में कोरोना शुरू होने के बाद से ही राजनीति कर रहे हैं। पिछले एक साल में उन्होंने केवल मीडिया प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया और इस महामारी से निपटने के लिए जमीन पर कुछ नहीं किया। अब वे अपनी विफलता को छिपा (Governments Hiding Death Toll) रहे हैं जिसमें दिल्ली के लिए मौत और संक्रमण संख्या शामिल हैं।