Deaf bureaucrats and blind government: क्या है गूँगे नौकरशाह और बहरी सरकार का इस कोरोना काल में लाशों की राजनीति। क्यों पूरे भारत में लोग बुनियादी चिकित्सा, ऑक्सीजन बेड और आवश्यक दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राज्य सरकारें क्यों दावा करती हैं कि सब कुछ ठीक है और उनके पास कोविड रोगियों से निपटने के लिए पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध हैं। वे इस दावे के बाद न केवल चुप हैं, बल्कि लोगों से मृत्यु की संख्या नहीं पूछें इसका डाबर भी बना रहे है। वे लोगों को आगे देखने और अभी भी जिंदा लोगों को बचाने की सलाह दे रहे हैं।
इस बीच कुछ राज्य सरकारें अपने राज्य के लोगों धमकाने में भी व्यस्त हैं। वे अपनी राज्य सरकारों की अक्षमता को उजागर करने पर लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही की धमकी दे रहे हैं। वे लोगों के ख़िलाफ़ एनएसए के तहत गिरफ़्तारी और उनके संपत्तियों को जब्त करने की धमकी दे रहे हैं। कुछ सरकारें इस संकट के समय में अपने कुप्रबंधन और ख़स्ता बुनियादी स्वास्थ सेवाओं के लिए केंद्र को ही दोषी ठहराने में लगे हुए है। कुल मिलाकर गूँगे नौकरशाह और बहरी सरकार (Deaf bureaucrats and blind government) मिलकर लोगों की लाशों पर राजनीति कर रही है।
क्या है उत्तर प्रदेश में वास्तविकता स्थिती और योगी आदित्यनाथ का मीडिया में दावा
आज के समय में उत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे खराब है और लोग बुनियादी दवाओं के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। आम आदमी के लिए बिस्तर और ऑक्सीजन प्राप्त करना लगभग असंभव है। ज़रूरी स्वास्थ सम्बन्धी चीज़ों की भर्ती काला बाज़ार हो रही है। अस्पताल और प्रशासन मिलकर काला बाजारी कर रहे है और सिर्फ़ लोगों को लूट रहे है। असल में उत्तर प्रदेश के गूँगे नौकरशाह और बहरी सरकार (Deaf bureaucrats and blind government) स्थिति को सही करने के लिए कुछ नहीं कर रही है। वे केवल मीडिया में बयान दे कर सोशल मीडिया का प्रबंधन कर रहे हैं।
Also Read: Governments Hiding Death Toll: क्यों सरकारें मौत का आँकड़ा छिपा रही हैं
यूपी के मुख्य मंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक बेतुका बयान जारी किया। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की और ज़रूरी दवाओं की कोई कोई कमी नहीं है, चाहे वह निजी हो या सरकारी। समस्या काला बाजारी और जमाखोरी है और उनका प्रशासन इसकी रोकथाम में लगा हुआ है। हम आईआईटी कानपुर IIM लखनऊ और IIT BHU के साथ मिलकर उचित निगरानी के लिए ऑक्सीजन ऑडिट कराने जा रहे हैं।”
इस बयान के साथ साथ योगी आदित्यनाथ ने लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) और गैंगस्टर अधिनियम के तहत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। यह कार्यवाही उन सभी पर की जाएगी जो योगी सरकार के अक्षमता या ज़रूरी स्वास्थ सेवाओं की कमी को उजागर करेंगे। इन बेतुके बयानो के अलावा योगी आदित्यनाथ सरकार स्थिति को सुधारने के लिए कुछ भी नहीं कर रही है जिससे लोगों के जीवन को बचाया जा सके।
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में मौत पर क्या कहा: Deaf Bureaucrats and Blind Government
उत्तर प्रदेश की तरह ही हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी एक बेशर्म बयान दिया है। जब मीडिया ने उनसे राज्य में मौत की संख्या की रिपोर्टिंग के के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने ने इस सवाल को बेशर्मी से अनदेखा कर दिया। उन्होंने न केवल सवाल को नजरअंदाज किया, बल्कि यह भी कहा कि “हमें मौतों के डेटा के बारे में बात नहीं करना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति मर गया है वह फिर से जीवित नहीं होगा।” हमें उनके बारे में बात करना चाहिए जो जीवित बच गए है। खट्टर का यह बयान मीडिया और लोगों के निशाने पर है और लोग इस बायन से काफ़ी आहत है।
सूत्रों की माने तो हरियाणा में, विशेषकर गुड़गांव की स्थिति बहुत डरावनी है। हरियाणा में लोग अस्पताल के बेड, ऑक्सीजन और बुनियादी दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए दिल्ली और एनसीआर छोड़कर पंजाब जा रहे हैं। लेकिन हरियाणा के (Deaf bureaucrats and blind government) गूँगे नौकरशाह और बहरी सरकार हालात से परेशान नहीं हैं और निर्दोष लोगों के शवों पर राजनीति कर रहे हैं। लोगों को मानना है की पूरी खट्टर सरकार दिल्ली सरकार के साथ लड़ाई और दिल्ली के AAP सरकार को बदनाम करने में व्यस्त है।
दिल्ली में कोविद संकट से निपटने के लिए अरविंद केजरीवाल क्या कर रहे है
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनका कोविड से निपटने का प्रयास भी लोगों के निशाने पर है। पूरी दिल्ली सरकार लोगों के लोक कल्याण का काम छोड़ कर सिर्फ़ मीडिया मैनज्मेंट कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सभी नेता दिल्ली में होने वाले मौतों और स्वास्थ सेवाओं के ख़स्ता हालत सिर्फ़ केंद्र सरकार को कोसने दोषी ठहराने में लगे हुए है। वे ऑक्सीजन, चिकित्सा और अस्पताल के बेड की कमी के लिए केंद्र को दोषी ठहरा रहे हैं।
Also Read: Police Global Conspiracy Theory: दिशा अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र का बड़ा हिस्सा
आपको बता दें कि दिल्ली में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए दिल्ली सरकार ने पिछले एक साल में कुछ नहीं किया। यहाँ तक कि उन्होंने कोविड के पहले लहर में बनाए हुए अस्थायी केंद्रों को बंद तक कर दिया था। इस समय दिल्ली का लगभग हर अस्पताल ऑक्सीजन और दवाओं की कमी और कालाबाजारी से जूझ रहा है। दिल्ली की Deaf bureaucrats and blind government सरकार सिर्फ़ राजनीति कर रही है और लोग अस्पताल के अंदर और बाहर मर रहे हैं।
जमीनी हकीकत देखने के बाद भारत की अदालतें क्या कर रही हैं
अब अधिकांश उच्च न्यायालयों ने तथाकथित निर्वाचित सरकार को उनका मूल कर्तव्य याद दिलाने का एक साहसिक निर्णय लिया है। अदालतों के हालिया बयान और आदेश इस कोविड के कठिन समय में अत्यंत सराहनीय है। अधिकांश उच्च न्यायालयों ने निर्वाचित राज्य सरकारों को लोक कल्याण का कार्य करने और अपना कर्तव्य निभाने का आदेश दिया है। न्यायालयों ने नौकरशाही और उनकी निष्क्रियता के लिए भी गंभीर टिप्पणी की और राज्य सरकार से जवाबदेही तय करने को कहा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का योगी आदित्यनाथ की सरकार को आदेश: Deaf Bureaucrats and Blind Government
कुछ दिन पहले, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को कोविड से अधिक प्रभावित जिलों में पूर्ण तालाबंदी करने का आदेश जारी किया था। हालांकि राज्य सरकार ने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी और पूर्ण लॉकडाउन लागू नहीं करने का निर्णय लिया था। लेकिन राज्य सरकार का यह निर्णय अब लगभग सभी शहरों में लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहा है। लोग अस्पताल के बेड, ऑक्सीजन और बुनियादी दवा के लिए यहाँ वहाँ संघर्ष कर रहे हैं। यूपी के अधिकांश शहरों में बुनियादी दवा की उपलब्धता नहीं होने के कारण लोगों की जान जा रही है। उत्तर प्रदेश के (Deaf bureaucrats and blind government) गूँगे नौकरशाह और बहरी सरकार स्थिति से निपटने के बजाय अपनी अक्षमता को छुपाने में व्यस्त हैं।
आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फिर से यूपी सरकार और उसके अधिकारियों द्वारा राज्य में कोरोना संक्रमण से निपटने के तरीकों पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को माई-वे या नो-वे का रास्ता छोड़कर लोगों के सुझावों का पालन करना चाहिए। नागरिकों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं कराना यूपी सरकार के लिए शर्मनाक है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने कोरोना मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को ये टिप्पणियां कीं। खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के 9 सबसे अधिक प्रभावित शहरों के लिए कई सुझाव भी दिए गए हैं। कोर्ट के आदेश से यह साफ़ है की योगी आदित्यनाथ की सरकार कुछ भी नहीं कर रही है।
दिल्ली उच्च न्यायालय का AAP सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल: Deaf Bureaucrats and Blind Government
दिल्ली उच्च न्यायालय ने AAP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि उसकी पूरी प्रणाली कोविड महामारी से निपटने में फेल हो गयी है। वो ऑक्सीजन सिलेंडर और ज़रूरी दवाओं की कालाबाजारी रोकें एमे पूरी तरह से विफल रहे है। अदालत ने तल्ख़ शब्दों में कहा की “यदि आप (दिल्ली सरकार) स्थिति का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं हैं, तो हमें बताएँ, हम केंद्र सरकार से स्थिति को संभालने के लिए कहेंगे।” उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान ऑक्सीजन री-फिलर्स को भी झाड़ लगायी और कहा की वह गिद्ध की तरह बर्ताव ना करें। कोर्ट दिल्ली सरकार के काम काज से बहुत नाराज़ है इन दिनो।
Also Read: Lockdown Threat to Maharastra: पुनः महाराष्ट्र पर लाक्डाउन का ख़तरा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार के ख़िलाफ़ एक अवमानना नोटिस भी जारी किया है। उन्होंने दिल्ली सरकार से ऑक्सीजन सिलेंडर डीलरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। कोर्ट ने ऑक्सीजन सिलेंडर और दवायीयों के कालाबाजारियों को गिरफ़्तार कर उनपर कार्यवाही करने का भी आदेश दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नौकरशाहों को भी धमकी दी है और दिल्ली सरकार से नौकरशाहों पर लापरवाही और कर्तव्य की विफलता के लिए जवाबदेही तय करने के लिए कहा है। दिल्ली के (Deaf bureaucrats and blind government) गूँगे नौकरशाह और बहरी सरकार लोगों के लिए काम करने के बजाय सिर्फ़ राजनीति कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोविद प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार से क्या कहा
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले गुरुवार को भारत में करोनो वायरस रोगियों की इस्थिती और ऑक्सीजन और दवा की आपूर्ति की समस्याओं का संज्ञान लिया। अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी कर उनसे तत्काल इस समस्या से निपटने के लिए “राष्ट्रीय योजना” की माँग की है । न्यायालय ने यह भी कहा कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाओं, टीकाकरण और लॉकडाउन लगाने के लिए राज्य सरकार की शक्ति से संबंधित मामलों का संज्ञान ले रहा था। केंद्र की (Deaf bureaucrats and blind government) बहरे नौकरशाह और अंधी सरकार सिर्फ़ रजिनित कर रही है और लोग मार रहे है।
आज सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से कहा कि वह कोविड टीकों और अन्य आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निर्धारण के संबंध में अपनाए गए आधार और औचित्य की व्याख्या करे। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार अपने हलफनामे में यह भी स्पष्ट करे कि टीकों के मूल्य निर्धारण के संबंध में क्या आधार और तर्क अपनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि “राष्ट्रीय संकट के दौरान, सर्वोच्च न्यायालय मूकदर्शक नहीं बन सकता है। उच्चतम न्यायालय की भूमिका प्रकृति में मापक है।”