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क्यों मोदी का एकतरफ़ा संवाद अब लोगों को स्वीकार्य नहीं है

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क्यों मोदी का एकतरफ़ा संवाद अब लोगों को स्वीकार्य नहीं है

Unilateral Dialogue of Modi: क्यों आज लोग मोदी मोदी के एकतरफ़ा संवाद को स्वीकार्य नहीं कर रहे है। क्यों आज लोग मोदी के सिर्फ़ अपनी बात को ही तरजीह दे कर लोगों पर अपनी बात थोपने के ख़िलाफ़ खड़े हो गए है। किसी भी विषय पर सिर्फ़ अपनी बात रखने के मोदी के कार्य शैली की आज हर तरफ़ आलोचना हो रही है। 

हालांकि कई राजनेता और मुख्यमंत्रियों का मानना ​​है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से  तरफा बोलते हैं और दूसरों के दृष्टिकोण को कोई तरजीह नहीं देते हैं। ऐसा वह सिर्फ़ विपक्षी नेताओ के लिए ही नहीं बल्की अपने पार्टी के वरिस्थ नेताओ की बात भी नहीं सुनते है। मोदी लोगों को आदेश देना पसंद करते हैं चाहे वो सही हो या ग़लत हो। हालाँकि कई नौकरशाहों और नेता उनकी इस कार्यशैली को पसंद नहीं करते लेकिन किसी ने उसके सामने बोलने की हिम्मत नहीं की।

अब चीजें बदल गई हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस एकतरफ़ा रवैए (Unilateral Dialogue of Modi) के ख़िलाफ़ लोगों ने अपनी आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। भारत में कोविड की स्थिति से निपटने में उनकी सरकार पूरी तरह से विफल रही है। इस विफलता का आम आदमी और विपक्षी नेता जम कर आलोचना कर रहे  हैं। यहां तक ​​कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी मोदी सरकार के कोविड की स्थिति से निपटने के प्रयासों की आलोचना कर रहा है। कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया और संस्थान ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार मौत के अकड़ो को छुपा रही है।

क्यों हेमंत सोरेन सीएम मोदी के एकतरफा संवाद पर सवाल उठा रहे हैं

क्या आप जानते हैं कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मोदी के साथ अपने फोन कॉल के बाद उनके एकतरफ़ा संवाद (Unilateral Dialogue of Modi) की जम कर आलोचना की हैं। आपको बता दें कि पीएम मोदी ने कुछ मुख्यमंत्रियों को फ़ोन कर  उनके राज्य में कोविड की स्थिति पर चर्चा की थी। अब हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि मोदी ने बातचीत में सिर्फ़ अपने मन की ही बात कही है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ने कोरोना की स्थिती पर मुख्यमंत्री के विचार नहीं सुने। हेमंत सोरेन इस बारे में बाक़ायदा ट्वीट कर कहा की  “आज आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने फोन किया। उन्होंने सिर्फ अपने मन की बात की। बेहतर होता यदि वो काम की बात करते और काम की बात सुनते।”

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आप को बता दें की केवल हेमंत सोरेन ने कोविड की स्थिति पर मोदी के एकतरफा संवाद (Unilateral Dialogue of Modi) पर सवाल उठाया नहीं उठाया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों भूपेश बघेल ने भी सोशल मीडिया में मोदी के फ़ोन कॉल के बाद नाखुशी व्यक्त की। उन्होंने भी आरोप लगाया कि मोदी का एकपक्षीय संवाद बेकार है और यह राज्य की मुख्य समस्या को संबोधित नहीं करता है। मोदी के फ़ोन कॉल पर विपक्षी नेताओं ने मीडिया और सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार पर सहयोग में पक्षपात करने का आरोप लगाया है।

सोरेन के ट्वीट पर हेमंत बिस्वा सरमा और अन्य भाजपा नेताओं ने क्या कहा: Unilateral Dialogue of Modi

Hemanta Biswa Sarma

हेमंत सोरेन का ट्वीट तुरंत बीजेपी नेताओं और उनके आईटी सेल के निशाने पर आ गया। असम के भाजपा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हेमंत सोरेन के ट्वीट का जवाब दिया और कहा कि “आपका यह ट्वीट न सिर्फ़ न्यूनतम मर्यादा के ख़िलाफ़ है बल्कि उस राज्य की जनता की पीड़ा का भी मजाक़ उड़ाना है जिनका हाल जानने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने फ़ोन किया था। बहुत ओछी हरकत कर दी आपने। मुख्यमंत्री पद की गरिमा भी गिरा दी।”

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शर्मा के अलावा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सोरेन के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन एक असफल मुख्यमंत्री हैं। उनका शासन विफल है। राज्य COVID से निपटने में विफल रहा है। लोगों की सहायता करने में भी विफल रहा है। वह अपनी असफलताओं को छिपा रहे है, उनको अपना  कार्यालय त्याग देना चाहिए। जागो और काम करो, श्री सोरेन। घड़ी चल रही है।” इनके अलावा बीजेपी के आईटी सेल ने भी सोशल मीडिया पर सोरेन को घेरना शुरू कर दिया है।

क्या है सोरेन के ग़ुस्से के अंदर की कहानी: Unilateral Dialogue of Modi 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हेमंत सोरेन पीएम मोदी के फोन कॉल के बाद बहुत नाखुश हैं। उनका आरोप है की उनको अपने राज्य के अन्य  चुनौतीपूर्ण मुद्दों को साझा करने की अनुमति नहीं दी गयी। प्रधानमंत्री ने केवल कोविड-19 की स्थिति पर चर्चा की और इस मुद्दे पर सिर्फ़ अपनी बात ही रखी (Unilateral Dialogue of Modi)। कॉल के दौरान पीएम मोदी ने पूछा कि झारखंड सरकार देश भर में फैल रही कोरोना महामारी से निपटने के लिए क्या कर रही है। इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी रणनीति का विवरण साझा किया। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण पर कड़ी नजर रख रही है।

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हेमंत सोरेन ने यह भी कहा कि उनकी सरकार इस महामारी के संबंध में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए एक रणनीति बनाएगी। लेकिन सोरेन को इसके आगे अपने राज्य के अन्य समस्याओं पर बोलने की अनुमति नहीं दी गयी है (Unilateral Dialogue of Modi)। इसके अलावा उनका आरोप है की उनको मौजूदा कोविड और गैर-कोविड समस्याओं से निपटने के लिए केंद्र समर्थन से कोई आश्वासन नहीं मिला। इन सबसे दुखी हो कर हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। कई लोग मानते हैं कि सोरेन के पास दुखी होने का पूरा अधिकार हैं लेकिन कोरोना की यह महामारी शायद उनके क्रोध को व्यक्त करें का सही समय नहीं है। उन्हें राज्य में अपने लोगों की मदद करने के लिए केंद्र के साथ काम करना चाहिए और अधिकतम मदद लेनी चाहिए।