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क्या है राज्यों में गवर्नर की भूमिका और क्यों उनके काम पर सवाल उठ रहे है

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क्या है राज्यों में गवर्नर की भूमिका और क्यों उनके काम पर सवाल उठ रहे है

Governors Role in State Affair: क्यों आज लोग राज्यों में गवर्नर की भूमिका पर सवाल उठने लगे है। क्यों पश्चिम बंगाल चुनाव हारने के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ की भूमिका पर लोग सवाल उठा रहे है। धनखड पर चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने और राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने के गम्भीर आरोप लग रहे है। उनपर लगातार बंगाल सरकार को संविधान के अनुसार काम नहीं करने देने का आरोप लग रहा है। यह तक की उनके बयानों को भी राजनीति से प्रेरित माना जा रहा है। कई लोग मानते हैं कि धनखड़ राज्य में भाजपा के विपक्षी नेता के रूप में कार्य कर रहे हैं। वह राज्य में बहुमत से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।

आपको बता दें की बंगाल के राज्यपाल धनखड़ राज्य में कानून व्यवस्था की विफलता का मुद्दा काफ़ी समय से उठा रहे हैं। वह टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा चुनावी हिंसा के लिए वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। राज्यपाल धनखड़ ने मीडिया के सामने ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बंगाल में हिंसा का मुद्दा उठाया था। उन्होंने ममता बनर्जी से अपील किया की वह बंगाल में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाएँ। आज एक बार फिर उन्होंने मंत्रियों के शपथ ग्रहण में यह मुद्दा उठाया और ममता सरकार पर तल्ख़ टिप्पडी की है।

भाजपा राज्यपाल 2014 से गैर भाजपा शासित राज्यों में क्या कर रहे हैं

2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही उन्होंने भारत के कई राज्यों में अपने राज्यपालों की नियुक्ति की है। अधिकांश भाजपा राज्यपाल गैर भाजपा सरकारों के लिए सिर्फ़ संकट हाई पैदा कर रहे हैं। वह राज्य में राजनीतिक मुद्दे उठा रहे हैं और राज्य के कार्य में लगातार हस्तक्षेप कर रहे हैं। यहां तक ​​कि कई राज्यपालों ने ग़ैर भाजपा राज्यों को बदनाम करने के लिए मीडिया और राज्यपालों की शक्तियों का इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है। इस मुद्दे पर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है की भाजपा के राज्यपाल ग़ैर भाजपा राज्यों में विपक्षी नेता की तरह काम कर रहे हैं (Governors Role in State Affair)। वह निर्वाचित सरकारों के लिए परेशानी पैदा करने के लिए संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

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आपको बता दें कि कई राज्यों में भाजपा के राज्यपाल और गैर भाजपा सरकारों के बीच टकराव की सूचना अब आम बात हो गयी है। निर्वाचित सरकारें आरोप लगा रही है की भाजपा के राज्यपाल अपनी संवैधानिक शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं (Governors Role in State Affair)। वे केवल सरकारों को बदनाम करने के लिए काम कर रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेशों की स्थिति तो और खराब है और वहाँ कुछ उपराज्यपाल एक समानांतर सरकार चला रहे हैं। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री और पूर्वे लेफ़्टिनेंट गवर्नर किरण बेदी के बीच टकराव जग ज़ाहिर है। उनपर न केवल समानांतर सरकार चलाने के आरोप लगे है बल्की राज्य में सत्तारूढ़ दल को विभाजित करने का भी उनपर गम्भीर आरोप है।

बंगाल के राज्यपाल ने मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान क्या कहा: Governors Role in State Affair

भाजपा के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही राज्यपाल  धनखड़ नाखुश दिख रहे हैं। वह अपनी पार्टी नेताओं के साथ ममता सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। धनखड़ बंगाल की टीएमसी सरकार को बदनाम करने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे हैं। आज उन्होंने ममता सरकार के मंत्रियों  के शपथ ग्रहण समारोह के बाद लोगों को संबोधित करते हुए सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिंसा के संबंध में कोई जिम्मेदारी नहीं दिखा रही है। परिस्थितियाँ बताती हैं कि राज्य सरकार हिंसा चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल में संविधान का राज समाप्त हो गया है।

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धनखड़ यहीं नहीं रुके और राज्य सरकार की जवाबदेही पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल सरकार हिंसा पर जमीनी हकीकत से परे है। वह लोगों से सच्चाई को छुपा रही है। उन्होंने यह भी कहा “सरकार को उन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने लोकतंत्र के धागे को तोड़ने की कोशिश की है। इस मामले में राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मुझसे छिपी नहीं है। मुझसे बेहतर इसे कोई नहीं जानता। सरकार भी यही चाहती थी। मैंने सरकार की कोई जिम्मेदारी या जवाबदेही नहीं देखी है।”

क्यों धनखड़ ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनके आदेशों को नहीं सुन रहा है: Governors Role in State Affair

धनखड़ ने राज्य प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया और कहा कि प्रशासन उनकी सलाह को नहीं सुन रहा है और न ही उनके आदेशों का पालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिंसा के संबंध में उन्होंने 3 मई को कोलकाता पुलिस और शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों से इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी। उसी दिन धनखड़ ने मुख्य सचिव को भी हिंसा को नियंत्रित करने के लिए की गई कार्रवाई का विवरण साझा करने को कहा। उन्होंने अधिकारियों से भविष्य में इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए कार्रवाई की योजना बनाने के लिए भी कहा। लेकिन धनखड़ के अनुसार उन्हें इस मामले में उनको कोई रिपोर्ट नहीं मिली। (Governors Role in State Affair) लेकिन सवाल यह उठता है की क्या राज्यपाल मुख्यमंत्री से सलाह लिए बिना पुलिस अधिकारी और नौकरशाहों से ऐसी रिपोर्ट मांग सकते हैं।

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धनखड़ यहीं नहीं रुके और आगे आरोप लगाया कि “मुख्य सचिव और डीजीपी उन्हें देखने आए थे, लेकिन उन्होंने कोई रिपोर्ट या जानकारी साझा नहीं की। उन्होंने ने मुझे कोई कारण भी नहीं बताया की क्यों रिपोर्ट मेरे साथ साझा नहीं की गई।” वह कोलकाता पुलिस कमिश्नर, मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी दोषी ठहरा रहे है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से ममता बनर्जी सरकार को रिपोर्ट नहीं साझा करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया हैं। राज्यपाल के आरोपों पर विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस मामले में राज्य सरकार की कोई गलती नहीं  है। राज्य के मामले में राज्यपालों की भूमिका सीमित है (Governors Role in State Affair) और उनके पास सामान्य परिस्थितियों में पुलिस और नौकरशाहों को आदेश देने का अधिकार नहीं है।

क्यों धनखड़ हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करना चाहते हैं

धनखड़ ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार उनको हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं करने दे रही है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने दौरे के लिए हेलिकॉप्टर माँगा तो राज्य सरकार ने पायलट की अनुपलब्धता का बहाना बनाकर मना कर दिया। धनखड़ के सवालों का बहुत से विशेषज्ञों ने समर्थन नहीं किया और इसको वह लोग राजनीति से प्रेरित मानते है। विशेषज्ञों यह भी जानना चाहते हैं कि राज्यपाल हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा क्यों करना चाहते हैं जब राज्य की जनता ने सरकार को कार्रवाई और जवाबदेही के लिए चुना है (Governors Role in State Affair)। सभी जानते हैं कि राज्य के मामले में संवैधानिक रूप से राज्यपालों की भूमिका प्रशासनिक आदेशों के लिए बहुत सीमित है।

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राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ इस मामले कोरी राजनीति करना चाहते हैं। वह प्रशासनिक निर्णय में अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर नौकरशाहों और पुलिस को भ्रमित करना चाहते है। वह केवल चुनी हुई सरकार को बदनाम करना चाहते हैं और यह साबित करना चाहते हैं कि ममता बनर्जी अपने राज्य में हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहीं। राज्यपाल धनखड़ इस तथ्य को भी स्थापित करना चाहते हैं कि राज्य सरकार संवैधानिक रूप से विफल रही है और वह राष्ट्रपति शासन की माँग को आगे बढ़ाना चाहते हैं। धनखड़ किसी भी कीमत पर भाजपा के पक्ष में सत्ता हथियाना चाहते हैं।

संवैधानिक विशेषज्ञ इस स्थिति में क्या राय रखते हैं: Governors Role in State Affair

कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि प्रशासनिक शक्ति चुनी हुई सरकार के पास ही रहनी चाहिए। केवल निर्वाचित सरकार कानून और व्यवस्था की स्थिति के संबंध में प्रशासनिक निर्णय ले सकती है। मुख्यमंत्री के परामर्श के बिना राज्यपाल पुलिस अधिकारियों और नौकरशाहों को आदेश नहीं दे सकते हैं (Governors Role in State Affair)। यदि राज्यपाल को कोई राज्य की ज़्यादा चिंता है तो उन्हें मुख्यमंत्री से चर्चा करनी होगी और उनसे कार्य के लिए अनुरोध करना चाहिए।

राज्यपाल का मीडिया और सोशल मीडिया में चुनी हुई सरकार के खिलाफ बोलना गलत हैं। अगर अगर उनको ज़्यादा चिंता है तो उन्हें प्रोटोकॉल के तहत मुख्यमंत्री से अकेले में बात करनी चाहिए। वह विपक्षी नेता के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं और सार्वजनिक मीडिया में चुनी हुई सरकार की आलोचना नहीं कर सकते हैं (Governors Role in State Affair)। यह गलत मिसाल कायम कर रहा है और भारतीय लोकतंत्र के लिए यह बहुत खतरनाक हो सकता है।